आ तेरे पैरोपर
.....मरहम लगा दू ए मुक्कदर,
कुछ चोट तुझे भी आई होगी,
.....मेरे सपनोको ठोकर मारकर
====================
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!
====================
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है
No comments:
Post a Comment