Friday, May 12, 2017

न जाने कितनी अनकही बातें

न जाने कितनी अनकही बातें, कितनी हसरतें साथ ले जाएंगे,
लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आये थे, खाली हाथ जाएंगे.
----------------------------------------------------------------------------------------------
पेट की आग को स्वाभिमान से बुझाई है! 
फिरभी हर वक्त जिल्लत झिड़की पाई है!
हाँ मैं मजदूर हूँ मेहनत से नहीं घबराता!
खून सा पसीना बहाया तब रोटी खाई है!
--------------------------------------------------------------------------------------------
हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए; 
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए; 
मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी; 
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।.
-------------------------------------------------------------------------------------------------
मुफ्त मे नही मांगी थी दिल मे जगह तेरे,
किराया आज तक चुका रहा हूँ आँसुओं से मेरे
दिल है ...ज़िन्दगी है...जान भी बाकी है.....
जाने क्यों फिर भी हर खुशी आधी है...!!!
----------------------------------------------------------------------------------------------------
जरूरी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले..
किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है.... #
-------------------------------------------------------------------------------------------------
तुझे पाने की उमीद नहीं फिर भी इंतजार है
चाहत अधुरी ही सही 
पर तेरे लिए बेशुमार है....

No comments:

Post a Comment